दिल्ली में नई सरकार के गठन से पहले एलजी वीके सक्सेना के निर्देश पर शुरू हुए यमुना के सफाई का निरीक्षण करने सोमवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव (सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग) नवीन चौधरी आइटीओ छठ घाट पहुंचे।

उन्होंने मशीनों से यमुना में कूड़ा-कचरा साफ करने के किए जा रहे कार्य के बारे में जानकारी ली और दावा किया कि तीन साल में यमुना की सफाई हर हाल में करा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस कार्य में सभी की भागीदारी जरूरी है।

2027 तक साफ करने का लक्ष्य
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अपनी कार्ययोजना के बारे में बताया कि दिल्ली सरकार शहर में सभी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को पूरी तरह से चालू कर देगी, जिसमें छह नए स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि अगले दो सालों में यमुना में सीवरेज और औद्योगिक अपशिष्टों के प्रवाह को पूरी तरह से रोका जा सके और दिसंबर 2027 तक यमुना को साफ किया जा सके।

हरियाणा से यूपी तक होगी सफाई
यमुना की सफाई के काम की देखरेख के लिए एक दौरे के दौरान सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के प्रभारी चौधरी ने कहा कि तीन साल में नदी को साफ करने के लिए उच्चतम स्तर पर प्रतिबद्धता जताई गई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में यमुना का पूरा 57 किमी का हिस्सा हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश की सीमा तक है। इस पूरे हिस्से को साफ किया जाएगा।

चौधरी ने कहा कि नदी को साफ करने के लिए तीन-चार चीजें सुनिश्चित करने की जरूरत है, जिसमें कचरा और खरपतवार को हटाना व पूरी तरह से कार्यात्मक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के माध्यम से अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों के प्रवाह की जांच करना शामिल है।

उन्होंने कहा कि नदी से ठोस अपशिष्ट, जलकुंभी और खरपतवार को हटाने के लिए सात मशीनें लगाई गई हैं और यह काम अगले कुछ महीनों तक चलेगा।

सख्त कार्रवाई की जाएगी
उन्होंने कहा कि समानांतर रूप से लगभग एक दर्जन एसटीपी को आधुनिक बनाने और फिर से चालू करने और 2026 के अंत तक छह ऐसे संयंत्रों का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है। चौधरी ने कहा कि दिसंबर 2026 तक सभी एसटीपी पूरी तरह से काम करने लगेंगे, तब अगर यमुना में कोई भी अनुपचारित सीवेज गिरता हुआ पाया गया, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने दी चेतावनी
उन्होंने कहा कि नदी में औद्योगिक अपशिष्टों के प्रवाह को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे, जिसके लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और उद्योग विभाग मिलकर काम करेंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने चेतावनी दी कि यमुना में अनुपचारित अपशिष्ट छोड़ने वाली औद्योगिक इकाइयों को बंद करना होगा।

उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि औद्योगिक क्षेत्रों में सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र (सीईटीपी) ठीक से काम कर रहे हों। लोगों को मूर्तियों को विसर्जित करने, कैलेंडर और ऐसी अन्य वस्तुओं को नदी में फेंकने से रोकने के लिए जन जागरूकता पैदा की जाएगी।

चौधरी ने कहा कि हम ऐसे स्थान बनाएंगे, जहां वे ऐसी वस्तुओं को डाल सकते हैं, जिन्हें बाद में उचित तरीके से सम्मानपूर्वक विसर्जित किया जा सके। कहा कि करीब 28 से 30 बड़े नाले यमुना में अनुपचारित अपशिष्ट जल डालते हैं।