अखिल भारतीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग का उद्घाटन आज भोपाल के शारदा विहार में हुआ, कार्यक्रम प्रदर्शनी का शुभारंभ करने पहुंचे मंत्री सारंग

भोपाल: अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विद्या भारती के 5 दिवसीय अखिल भारतीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग का शुभारंभ सोमवार को शारदा विहार भोपाल में हुआ। इस अवसर पर तीन विशेष प्रदर्शनियों- संस्कृति, डिजिटल उपलब्धियां और शिशु वाटिका का उद्घाटन मध्य प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण तथा सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने किया। इस कार्यक्रम में विद्या भारती के राष्ट्रीय और प्रांतीय पदाधिकारी भी मौजूद रहे। मंगलवार को कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत आएंगे। प्रदर्शनियों का अवलोकन करने के बाद मंत्री विश्वास सारंग ने मीडिया से चर्चा में विद्या भारती के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर न केवल शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि वे संस्कार केंद्र के रूप में भी काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि यह अखिल भारतीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग नई शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। डॉ. मोहन भागवत करेंगे अभ्यास वर्ग का उद्घाटन
विद्या भारती द्वारा आयोजित इस 5 दिवसीय अखिल भारतीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग का उद्घाटन मंगलवार को सुबह 9 बजे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत करेंगे। इस प्रशिक्षण शिविर में देशभर से 700 से अधिक कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं।
तीन विशेष प्रदर्शनियों का आयोजन
संस्कृति प्रदर्शनी: वीरांगनाओं और विरासतों का सम्मान
यह प्रदर्शनी लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती और वीरांगना रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती के अवसर पर उनके पराक्रम, व्यक्तित्व और योगदान को प्रदर्शित करती है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक, धार्मिक और दार्शनिक विरासतों के महत्व को दर्शाती प्रदर्शनी भी लगाई गई है।
डिजिटल उपलब्धियां प्रदर्शनी: आधुनिक शिक्षा की झलक
यह प्रदर्शनी विद्या भारती द्वारा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए संचालित डिजिटल गतिविधियों, सामाजिक सरोकारों और शैक्षणिक कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान करती है।
शिशु वाटिका प्रदर्शनी: खेल के माध्यम से शिक्षा
विद्या भारती द्वारा संचालित 12 शैक्षणिक प्रणालियों को प्रदर्शित किया गया है, जिसमें खेल के माध्यम से बच्चों को शिक्षित करने की अवधारणा पर विशेष जोर दिया गया है।