अब निजी कंपनियां बनाएंगी सैटेलाइट-बस प्लेटफॉर्म, ISRO का बड़ा कदम

देश में सैटेलाइट-बस प्लेटफॉर्म डिजाइन और विकसित करने के लिए निजी कंपनियों के लिए रास्ता खोला जा रहा है। इससे आयात पर निर्भरता कम करने में खासी मदद मिलेगी। अंतरिक्ष नियामक इंडियन नैशनल स्पेस प्रमोशन ऐंड ऑथराइजेशन सेंटर (इन-स्पेस) ने अपने एक बयान में कहा कि सैटेलाइट बस एज ए सर्विस नाम से शुरू की गई नई पहल का उद्देश्य अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाली निजी कंपनियों को होस्टेड पेलोड ऐप के लिए छोटे सैटेलाइट बस प्लेटफॉर्म डिजाइन और विकसित करने में मदद करना है।
इस कार्यक्रम के तहत इन-स्पेस दो चरणों में सैटेलाइट बस प्लेटफॉर्म के निर्माण के लिए कंपनियों को सहयोग देगा। पहले चरण में एक मॉड्यूलर, मल्टी-मिशन सैटेलाइट बस सिस्टम विकसित करने के लिए उनकी तकनीकी क्षमताओं के आधार पर चार भारतीय गैर-सरकारी संस्थाओं को चयनित किया जाएगा। दूसरे चरण में प्लेटफॉर्म की उपयोगिता को प्रदर्शित करने के लिए दो होस्टेड पेलोड मिशन तक संबंधित कंपनियों की मदद की जाएगी।
इस पहल के माध्यम से इन-स्पेस कई पेलोड लांच करने में सक्षम छोटे सैटेलाइट बस सिस्टम के डिजाइन, विकास और निर्माण करने के लिए पात्र एजेंसियों से आवेदन आमंत्रित करता है। सरकार के बयान पर टिप्पणी करते हुए इन-स्पेस के अध्यक्ष पवन गोयनका ने कहा, ‘सैटेलाइट बस एज ए सर्विस पहल देश के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है। इस क्षेत्र में गैर-सरकारी कंपनियों के लिए दरवाजे खोलकर हम नवाचार को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने पर जोर दे रहे हैं। इससे हम सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के साथ मिलकर देश को छोटे सैटेलाइट बस और होस्ट किए गए पेलोड सेवाओं का वैश्विक सेवा प्रदाता बनाने की उम्मीद कर रहे हैं।’
सरकार चाहती है कि इसके जरिए फ्लाइट प्लेटफॉर्म तक पहुंच आसान होने के साथ-साथ कक्षा में लगने वाला समय भी कम किया जाए तथा पेलोड डेवलपर इन-ऑर्बिट प्रदर्शन करने में सक्षम हों। इन-स्पेस में तकनीकी निदेशालय के निदेशक राजीव ज्योति ने कहा, ‘ सैटेलाइट बस एज ए सर्विस को पेलोड डेवलपर और सैटेलाइट प्लेटफॉर्म के बीच की खाई को पाटने के लिए डिजाइन किया गया है। एक मानकीकृत, मॉड्यूलर बस प्लेटफॉर्म प्रदान कर हम विविध पेलोड के इन-ऑर्बिट सत्यापन के लिए एक किफायती समाधान प्रदान करते हैं। इस पहल से उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास चक्र को गति मिलेगी और अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ी हर तरह की सुविधा देने में देश की क्षमता बढ़ेगी।’
निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने और इससे जुड़ी गतिविधियों में भागीदारी सुनिश्चित करने के केंद्र सरकार के निर्णय के बाद जून 2020 में इन-स्पेस का गठन किया गया था। इन-स्पेस अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाली गैर सरकारी कंपनियों के की विभिन्न अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देने, उन्हें इस क्षेत्र में सक्षम बनाने, अधिकृत करने और पर्यवेक्षण करने जैसे तमाम मुद्दों के समाधान के लिए एकल-खिड़की, स्वतंत्र और नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। यह अंतरिक्ष विभाग में स्वायत्त एजेंसी के रूप में कार्य करता है।